आज किसी अपनी फसल को ज्यादा उत्पादन के लिए कई तरह के खाद का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही साथ फसल में किसी भी प्रकार के कीड़े-मकोड़े लगते हैं। उसके लिए कीटनाशक का भी इस्तेमाल करते हैं। बाजार में कई तरह के खेतों में छिड़काव के लिए कीटनाशक मिलते परन्तु उन बजारों में मिलने वाले रसायन कीटनाशकों को खेतों में छिड़काव करने से खेतों की उर्वरा शक्ति कमजोर हो जाती है जिसके बाद आगे चलकर फसलों का उत्पादन धीरे-धीरे कम होने लगता है।
वैसे तो बजार में ऐसे कई तरह के खाद उपलब्ध हैं जिसका इस्तेमाल खेतों में कर के उत्पादन बढ़ा सकते हैं परन्तु रासायनिक खादों से उपजे हुए अनाज सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। इन सभी चीजों को देखते हुए झारखंड की महिलाओं ने मटका खाद और कीटनाशक बना रही है। यह मटका खाद पूरे जैविक तरीके से बनाया जाता है जो फसलों में छिड़काव करने से उसमें कीट-पतंग नही लगते और इस मटका खाद से फसलों का उत्पादन भी अच्छा होता है।
झारखंड की महिलाएं बना रही मटका खाद
झारखंड के लोहरदगा जिला के कैरो प्रखंड की रहने वाली कई सारी महिलाएं मिल जुलकर मटका खाद का निमार्ण कर रही हैं। साथ ही साथ इससे कीटनाशक भी बनाई जा रही है। यह मटका खाद और कीटनाशक फसलों के लिए काफी लाभदायक होते है। इस मटका खाद और कीटनाशक को खरीदने के लिए आस-पास के कई किसान आते हैं। बता दें कि इस मटका खाद और कीटनाशक से उन ग्रामीण महिलाओं को प्रत्येक महीने लगभग 5 से 6 हजार रूपए की कमाई हो जाती है।
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महिलाएं इस मटका खाद और कीटनाशक को बना कर बजारों में बेचती हैं और यह मटका खाद और कीटनाशक बजारों में 20 से 30 रूपए प्रति लिटर के हिसाब से बिकता है जिसका उपयोग वहां के किसान अपने खेतों में छिड़काव में करते हैं, जिससे उन्हें फसलों में लगे कीट-पतंग इस कीटनाशक से मर जाते हैं और फसलों का उत्पादन भी बेहतर होता है।
मटका खाद बनने की विधि
मटका खाद बनाने के लिए गौ मूत्र, गुड़, सिंदुवार पत्ता, आधा किलो नीम पत्ता, कंजर पत्ता और गोबर का इस्तेमाल करते हैं। इन सभी चीजों को अच्छे से मिलाकर लगभग 9 दिनों तक छोड़ देते हैं। 9 दिनों के बाद यह बिल्कुल खाद और कीटनाशक के रूप में तैयार हो जाता है। जिसके बाद यह सभी महिलाएं इसे बाजार में बेचकर इससे अपना कमाई करते हैं। ग्रामीण महिलाओं का यह प्रयोग किसानों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इस मटका खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल से कीट-पतंग बिल्कुल भी नहीं लगते हैं।
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किसानों को मिलता है काफी फायदा
लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड के आने वाले कई ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि इसे मटका खाद और कीटनाशक से फसलों को कई गुणा ज्यादा लाभ मिलता है। इन ग्रामीण महिलाओं द्वारा इस जैविक खाद और कीटनाशक का निमार्ण किसानों के लिए बेहतर है। कैरो प्रखंड के आने वाले गांव के किसान इन महिलाओं से खुद मटका खाद और कीटनाशक ले जाते हैं। ग्रामीण महिलाओं का यह जैविक निर्माण उन्हे आत्मनिर्भर बना रहा है।
कृषि विभाग द्वारा इन महिलाओं को हर तरह से सहयोग देना का दिया भरोसा
कैरो प्रखंड के इन महिलाओं द्वारा इस जैविक खाद और किटनाशक बनाने को लेकर लोहरदगा जिला के कृषि पदाधिकारी शिवपूजन राम बताते हैं कि आज रसायनिक कीटनाशकों का खेतो में छिड़काव करने से कई तरह के बीमारियों का सामना करना पड़ता है परन्तु जैविक तरीके से खेती करने से फसल का उत्पादन भी अच्छा होता है और साथ ही साथ जैविक खेती से उपजाए गए फसल हमलोगों के स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होता है, जिसके कारण कृषि विभाग भी जैविक तरीके से खेती करने के लिए किसान को बढ़ावा देती है। आज इन ग्रामीण महिलाओं द्वारा इस मटका खाद और किटनाशक का निमार्ण करना काफी सराहनीय है। इसके लिए इन महिलाओं को कृषि विभाग की तरफ से मदद कि घोषणा की है।
मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है
किसान बताते हैं कि जैविक खाद का उपयोग खेतों में करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। जिससे पैदावर भी काफी बेहतर होता है। अगर कोई भी किसान अपने खेतों में लगे फसल में जैविक खाद और कीटनाशक का प्रयोग करता है तो वह खेतों की मिट्टी के लिए काफी उपयोगी होता है। आज धीरे-धीरे रासायनिक खादों का प्रचलन काफी कम होता जा रहा है। लोग जैविक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। इसके साथ ग्रामीण महिलाएं बताती हैं कि इन जैविक खाद और कीटनाशक को खेतों में इस्तेमाल करने से फसल में कीड़े नहीं लगते है। साथ ही साथ जैविक तरीके से उपजे हुए फसल हमलोग के स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होता है और शरीर हेल्दी रहता है।
झारखंड के लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड के महिलाओं द्वारा इस जैविक खाद और कीटनाशक का निमार्ण किसानों के लिए काफी बेहतर है। साथ ही साथ फसल के उपज और खेतों के मिट्टी के लिए भी काफी बेहतर होता है।