भारत एक ऐसा देश है, जहां हर धर्म को मान्यता दी जाती है। यहां ना जाने कितने मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे बने हुए हैं। देश के बङे गुरूद्वारों में से एक है दिल्ली का प्रसिद्ध गुरुद्वारा “बंगला साहिब गुरुद्वारा”। लोगों का मानना है कि यह देश के सबसे बड़े सिख तीर्थस्थलों में से एक है। दुनिया भर से लोग इस गुरुद्वारा में शीष झुकाने आते हैं, जिस वजह से यह दिल्ली के मुख्य आकर्षण केंद्र में से एक है। आज हम आपको बताएंगे कि गुरुद्वारा की स्थापना कैसे हुई थी और यह कब बनवाया गया था। – Some unheard things of Delhi’s famous Gurudwara Bangla Sahib Gurdwara.
राजा जय सिंह के बंगले को बनाया गया गुरुद्वारा
बंगला साहिब गुरुद्वारा का स्थान पहले के समय में राजा जय सिंह का बंगला था। आपको बता दें कि राजा जय सिंह 17वीं शताब्दी के शासक रहे हैं। जयसिंहपुरा पैलेस को ही आज गुरुद्वारा के रूप में जाना जा रहा है और तब इस जगह को कनॉट प्लेस नहीं बल्कि जयसिंह पुरा के नाम से जाना जाता था। साल 1664 में सिखों के आंठवे गुरु ‘गुरु हर कृष्ण’ इस बंगले में रहते थे।

गुरु हर कृष्ण रहते थे इस बंगले में
जानकारों की मानें तो उस समय में ज्यादातर लोग चेचक और हैजा की बीमारी से परेशान थे। उस दौरान गुरु हरकृष्ण बंगले के एक कुएं से प्राथमिक उपचार और ताजा पानी देकर उन लोगों की मदद की, जो बीमारियों से पीड़ित थे और लोगों का कहना था कि गुरुद्वारे के पानी से बिमारियां दूर हो जाती है। हालांकि गुरु हरकृष्ण भी इस बीमारी से संक्रमित हो गए और उनकी मौत भी हो गई थी। उस समय में राजा जय सिंह कुएं के ऊपर एक छोटा तालाब बनाए थे।
गुुरुद्वारे में स्थित सरोवर बेहद ही शांत जगह है
राजा जय सिंह का मानना था कि तालाब के इस पानी में उपचार गुण हैं इसलिए उन्होंने इस बंगले को सिखों के आठवें गुरु को समर्पित किया था। इस गुुरुद्वारे में मौजूद सरोवर बेहद ही शांत जगह है। अगर आप यहां बैठते हैं यह घूमते हैं तो आपको इससे बहुत शांति मिलेगी। यही वजह है कि बांगला साहिब गुरुद्वारा को देखने के लिए पूरे दुनिया से लोग आते है। – Some unheard things of Delhi’s famous Gurudwara Bangla Sahib Gurdwara.

एक साथ 800-900 लोगों के बैठने की है जगह
हर गुरुद्वारे में फ्री में भोजन खिलाया जाता है, जिसे लंगर कहा जाता है। यह लंगर 24/7 और 365 दिन चलता रहता है। बंगला साहिब गुरुद्वारा के लंगर हॉल में एक साथ 800-900 लोगों के बैठने की जगह है। रिपोर्ट्स की मानें तो बंगला साहिब गुरुद्वारा में करीब 35-75 हजार लोग रोज लंगर खाते हैं, जिसकी शुरूआत सुबह 5 बजे से होता है और यह देर रात तक चलता है। अगर आप चाहें तो यहां के किचन में जाकर अन्य लोगों की मदद कर सकते हैं।

गुरुद्वारा में गरीब लोगों के लिए होता है इलाज
बंगला साहिब गुरुद्वारा में आप रोटी बेलने से लेकर दाल पकाने तक का काम कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आप चाहे तो लोगों को खाना परोस भी सकते हैं। लंगर के अलावा गुरुद्वारा में गरीब लोगों के लिए इलाज करवाने की सुविधा भी उपलब्ध है। आपको बता दें कि केवल 50 रूपये में आप गुरुद्वारा में एमआरआई स्कैन करवा सकते हैं। डायग्नोस्टिक सेंटर ने हाल ही में अपने किडनी डायलिसिस अस्पताल भी खोला है ।
आपको बता दें कि गुरुद्वारा के कॉम्प्लेक्स में कैश या बिलिंग काउंटर नहीं है और मरीजों को यहां मुफ्त में भर्ती किया जाता है। दिल्ली के बाहर से आने वाले भक्तों के लिए गुरुद्वारे के कमरों में रुकने की व्यवस्था की गई है और वह लंगर हॉल में भोजन कर सकते हैं। – Some unheard things of Delhi’s famous Gurudwara Bangla Sahib Gurdwara.